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谁识芗林秋露。
胜却诸天花雨。
休更觅曹溪,自有个中玄路。
参取。
参取。
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临镜笑春风,生怕梅花妒。
疑是西湖处士家,疏影横斜处。
江静竹娟娟,绿绕青无数。
独许幽人子细看,全胜墙东路。
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雨意挟风回,月色兼天静。
心与秋空一样清,万象森如影。
何处一声钟,令我发深省。
独立沧浪忘却归,不觉霜华冷。
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时菊碎榛丛,地僻柴门静。
谁道村中好客稀,明月和清影。
天地一蘧庐,梦事慵思省。
若个知馀懒是真,心已如灰冷。
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胶胶扰扰中,本体元来静。
一段澄明绝点埃,世事如泡影。
歇即是菩提,此语须三省。
古道无人著脚行,禾黍秋风冷。
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月窟蟠根,云岩分种,绝知不是尘凡。
琉璃剪叶金粟缀花繁。
黄菊周旋避舍,友兰蕙、羞杀山樊。
清香远,秋风十里,鼻观已先参。
酒阑。
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瑟瑟金风,团团玉露,岩花秀发秋光。
水边一笑,十里得清香。
疑是蕊宫仙子,新妆就、娇额涂黄。
霜天晚,妖红丽紫,回首总堪伤。
中央。
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瑶田银海。
浩色难为对。
琪树照人间,晓然是、华岩境界。
万年松径,一带旧峰峦,深掩复,密遮藏,三昧兴无碍。
金毛狮子,打就休惊怪。
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挂冠神武。
来作烟波主。
千里好江山,都尽是、君恩赐与。
风勾月引,催上泛宅时,酒倾玉,堆雪,总道神仙侣。
蓑衣箬笠,更着些儿雨。
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一阳才动,万物生春意。
试与问宫梅,到东阁、花枝第几。
疏疏淡淡,冷艳雪中明,无俗调,有真香,正与人相倚。
非烟非雾,瑞色门阑喜。
再拜引杯长,看两颊、红潮欲起。
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华灯明月光中,绮罗弦管春风路。
龙如骏马,车如流水,软红成雾。
太一池边,葆真宫里,玉楼珠树。
见飞琼伴侣,霓裳缥缈,星回眼、莲承步。
笑入彩云深处。
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梦回寒入衾绸,晓惊忽堕瑶林里。
穿帷透隙,落花飞絮,难穷巧思。
着帽披裘,挈壶呼友,倚空临水。
望琼田不尽,银涛无际,浮皓色、来天地。
遥想吴郎病起。
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恨中秋、多雨及晴景,追赏且探先。
纵玉钩初上,冰轮未正,无奈婵娟。
饮客不来自酌,对影亦清妍。
任笑芗林老,雪鬓霜髯。
好在章江西畔,有凌云玉笥,空翠相连。
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千古一灵根,本妙元明静。
道个如如已是差,莫认风番影。
枯木夜堂深,默坐时观省。
月落乌鸡出户飞,万里关河冷。
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春尽日,雨馀时。
红蔌蔌,绿漪漪。
花满地,水平池。
烟光里,云影上,画船移。
纹鸳并,白鸥飞。
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年重月,月重光。
万瓦千林白似霜。
扁舟入醉乡。
山苍苍。
水茫茫。
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柳眼风前动,梅心雪后寒。
年光浑似雾中看。
抱答风光无处、可为欢。
一曲聊收泪,三杯强自宽。
新愁不奈上眉端。
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无穷白水。
无限芰荷红翠里。
几点青山。
半在云烟暗霭间。
移舟横截。
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江左称岩桂,吴中说木犀。
水沈为骨郁金衣。
却恨疏梅恼我、得香迟。
叶借山光润,花蒙水色奇。
年年勾引赋新诗。
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病著连三月,谁能慰老夫。
萧萧短发不胜梳。
风里支离欲倒、要人扶。
秋月明如水,岩花忽起予。
旋白酒入盘盂。
[宋]
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