[周]
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先秦无名的诗文全集
共 110 诗文
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济洹之水。
赠我以琼瑰。
归乎归乎。
琼瑰盈吾怀乎。
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政不节与。
使民疾与。
何以不雨至斯极也。
宫室崇与。
妇谒盛与。
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罗縠单衣。
可裂而绝。
三尺屏风。
可超而越。
鹿虑之剑。
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贞之无报也。
孰是人斯。
而有斯臭也。
贞为不听。
信为不诚。
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何自南极。
至于北极。
绝境越国。
弗愁道远。
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松邪柏邪。
住建共者客邪。
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仰飞鸟兮乌鸢。
凌玄虚兮号翩翩。
集洲渚兮优恣。
啄虾矫翮兮云间。
任厥性兮往还。
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凤皇下丰。
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嗟来桑户乎。
嗟来桑户乎。
而已反其真。
而我犹为人猗。
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先出也衣絺紵。
后出也满囹圄。
吾今见民之洋洋然。
东走而不知所处。
有人自南方来。
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鲁人之皋。
数年不觉。
使我高蹈。
唯其儒书。
以为二国忧。
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父邪母邪。
天乎人乎。
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禹得金简玉字书。
藏洞庭包山湖。
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龙欲上天。
五蛇为辅。
龙已升云。
四蛇各入其宇。
一蛇独怨。
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邺有贤令兮为史公。
决漳水兮灌邺旁。
终古舄兮生稻梁。
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唐虞世兮麟凤游。
今非其时来何求。
麟兮麟兮我心忧。
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有龙于飞。
周遍天下。
五蛇从之。
为之承辅。
龙返其乡。
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公胡不复遗其冠乎。
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请成相。
世之殃。
愚暗愚暗堕贤良。
人主无贤。
如瞽无相何伥伥。
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无田甫田,维莠骄骄。
无思远人,劳心忉忉。
无田甫田,维莠桀桀。
无思远人,劳心怛怛。
婉兮娈兮。